Tuesday, January 26, 2016

विकलांगयादिव्यांग

प्रकृतिदत्त या परिस्थितिजन्य अभाव या अपर्याप्ति को दुर्बलता या असमर्थता कह कर पहचान के रूप में किसी पर थोपना कभी रुचा नहीं। दुर्बलता या असमर्थता वस्तुतः मानसिकता में होती है अतः पहचान का भी मानसिकता से ही होना उचित है। कुछ यही भाव एक कविता के रूप में अभिव्यक्त हो गए थे (1972) अनेक वर्षों बाद आज ऐसा लगा कि दिव्यांग नाम देने से पहचान परिवर्तन की तरफ पहला कदम तो उठा। धीरे-धीरे उन्हें दुर्बल या दयनीय समझने की मानसिकता भी बदलेगी।

छाया का छलावा

कौन लंगड़ा है
मगर गतिवान फिर भी ?
कौन चल सकता
मगर लंगड़ा रहा है ?
कौन इन बैसाखियों से आज पूछेः
पाप करता कौन ?
जो पथ नापता है
या, जो कि लूले-स्वप्न
बाँटे जा रहा है ?

कौन लंगड़ा है ?

कौन लूला है
मगर कुछ गढ रहा है ?
कौन है जो खिलखिलाता
हाथ थामे ध्वंस के ?
कौन खोले मुट्ठियों को
और सोचे
भाग्य की रेखा दिखा कर कौन ?
स्वप्न की भोली परी के
पंख नोचे जा रहा है ?

कौन लूला है ?

कौन अंधा है
मगर कुछ देखता है ?
कौन सब कुछ देख
अंधा बन रहा है ?
कौन सूनी चोखटों पार जाये और देखेः
ज्योत्सना के स्रोत पर
कोहरा बिछा कर कौन ?
जिन्दगी के जाम में
भर कर अंधेरा पी रहा है ?

कौन अंधा है ?

कौन जगता है
नयन में आस लेकर ?
कौन सब की आस की
शैया बनाए सो रहा है ?
नींद की नगरी में किससे कौन पूछे ?
करुण क्रन्दन को
मधुर लोरी समझ कर कौन ?
स्वार्थ की अट्टालिका में
राक्षसी तन्द्रा लपेटे सोगया है ?

कौन जगता है ?

व्यर्थ ये सब प्रश्न
क्यों सब पूछते हैं ?
एक छाया के छलावे से
वृथा क्यों जूझते हैं ?
चाह कर उलझा दिया,
फिर क्यों पहेली बूझते हैं
कौन सोता, कौन जगता भूलकर
झाँकें हृदय में
और पूछें :
जागता ‘‘मैं’’ या
अभी भी सो रहा है ?
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(2012 में प्रकाशित मेरी पुस्तकमैंने तुम्हारी मृत्यु को देखा हैसे )

Monday, January 4, 2016

नववर्ष - 2016
की
शुभकामनाएं

नवल किरण छू नव-प्रभात की नीरज खिलते जैसे,
धरती से अंकुर, डाली से कोंपल फूटे जैसे,
फूलों पर फैली मुस्कानें हर लेतीं हर पीडा जैसे,
नव-संवत्सर जीवन में भर दे सुख-संतति भी वैसे।

शुभकामनाएं कि नए वर्ष के हर पल को अधिक से अधिक हर्षमय बना सकें

  
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Happy New Year - 2016
Best wishes

As lotuses bloom with the touch of fresh rays of new dawn; as sprouts emerge from earth and buds sprout from stems; as smiles spread on flowers remove all pain; in the same way may the New Year enrich life with lasting happiness.

Best wishes for you to be able to infuse more and more happiness in each moment of the New Year.


    Surendra Bothra